आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना;
वो बाग़ की बहारें, वो सब का चह-चहाना;
आज़ादियाँ कहाँ वो, अब अपने घोसले की;
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना;
लगती हो चोट दिल पर, आता है याद जिस दम;
शबनम के आँसुओं पर कलियों का मुस्कुराना;
वो प्यारी-प्यारी सूरत, वो कामिनी-सी मूरत;
आबाद जिस के दम से था मेरा आशियाना।
-श़ायर अज्ञात
आज़ादियाँ कहाँ वो, अब अपने घोसले की;
जवाब देंहटाएंअपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना;
लगती हो चोट दिल पर, आता है याद जिस दम;
शबनम के आँसुओं पर कलियों का मुस्कुराना;
Wahhhh। ज़ेहन में अपनी ख़ूबसूरती दर्ज करती शानदार ग़ज़ल। ख़ूबसूरत प्रस्तुति
सुन्दर।
जवाब देंहटाएंलाजवाब गजल....
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