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शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

गुलमोहर (हाइकु).....ज्योत्सना प्रदीप


1.
गिरधर का 
मुकुट-धरोहर 
गुलमोहर।
2.
ताप सहता
पीड़ा ना कहता
गुलमोहर।
3.
मधु का स्रोत
खुशी से ओत-प्रोत
ये कृष्णचूड़
4.
मोह लेता रे
मोहन को भी यह
गुलमोहर।
5.
ये स्वर्ग-पुष्प
सुने राग-बहार 
मधुमक्खी का।
-ज्योत्सना प्रदीप

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-02-2018) को "चोरों से कैसे करें, अपना यहाँ बचाव" (चर्चा अंक-2875) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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