पूछ रहे है वो हमसे
रवायते - ए - मौहब्बत क्या होगी
हमने लब खमोश रखे
देखै उनकी इनायत क्या होगी !
दस्तुरे वफा वो पूछ रहे
तो इश्केदारी क्या होगी
बहुत हुआ कहना सुनना
उनसे दुनियॉ दारी ही होगी !
बज़्म भी है और तुम भी है
और हम भी है खामोश सनम
शोर भरी इस महफिल मै
फिर इश्क की कीमत क्या होगी !
डॉ. इन्दिरा गुप्ता ✍
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (09-02-2017) को (चर्चा अंक-2874) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'