फ़ॉलोअर

शनिवार, 14 जुलाई 2018

संकल्प......दीपाली ठाकुर (दीपशिखा)

image not displayed
संकल्प
मन विचलित 
मत करना अपना
कुछ विलंब जो
हो जाये,
कुछ नही 
संसार मे ऐसा
जो तू ठान के 
ना कर पाए,
ज्ञान तुझे हो 
लक्ष्य का अपने
कसकर कमर 
जो तू चल जाये,
फिर कुछ नही है
संसार मे जो तू
चाह के ना कर पाये,
कमी कहीं रह जाए
तो पुनः प्रयास करें
मन निराश न कर 
अपना,दुगुना फिर
उत्साह भरे,
माना बड़ी मुश्किल
डगर है,
बहुत कठिन 
तेरा सफर है,
पर तु सोच
जरा मन में
हमने क्यूँ 
मानव तन पाए
मन  विचलित 
मत करना अपना
कुछ  विलंब
जो हो जाए
है तुझमे 
इतना बल
जगा अपनी
धमनीऔर शिराएं
करले दृढ़ "संकल्प"
बना स्वयं
हस्तरेखाएँ 

दीपाली ठाकुर (दीपशिखा)
रायपुर छत्तीसगढ़

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (15-07-2018) को "आमन्त्रण स्वीकार करें" (चर्चा अंक-3033) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १६ जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. नमस्ते श्वेता दी, मेरी रचना पांच लिंको का आंनद पर साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. अतिसुन्दर, आत्म विश्वास जगाती रचना ।

    जवाब देंहटाएं

14...बेताल पच्चीसी....चोर क्यों रोया

चोर क्यों रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?” अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक सा...