आज हुवा फिर से बवाल
घर मे मच गया घमासान
लगता आया है तूफान।
दादा जी का जन्मदिवस था
आये सारे ही शैतान
रिकी मिकी नवल चपल
पिंकी गुडिया पीहू रिधान
खाया छीना झपटा पटका
इसकी चोटी उस का कान।
आज हुवा फिर से.......
टीवी पर थी सब की नजरें
कहां छुपाया रिमोट कन्ट्रोल
रिकी मिकी क्रिकेट दिवाने
पोके मोन देखूं कहे चपल
कोई कहे ये देखूं कोई कहे वो
झगडे मे टूटा रिमोट,मचा धमाल।
आज हुवा फिर से....
चाचा गुर्राये कर आंखें लाल
ताऊ जी उठे छडी संभाल
मम्मीयां खडी थी भींचें दांत
कांप गये सोच के वो घडी
कान खिंचाई बिल्कुल पक्की
अब किसकी कमर पर बेंत पडी।
आज हुवा फिर से...
तभी दादाजी ने ऐनक चढाई
बोले बच्चों कैसी है ये लडाई
हम तो भइया जोरो से लडते
एक आध का दांत थे तोडते
तुम सब तो हो बड़े ही भोले
मिलेगें सब को पुरी छोले ।
आज हुवा फिर से....
शुरू हो गया फिर से धमाल
दादाजी ने किया कमाल
सबके चेहरों पर खुशियां छाई
सब ने खूब आशीषें पाई
खाने को ढेरों थे पकवान
आज तो भइया बच गये कान।
आज हुवा फिर से बवाल ।
कुसुम कोठारी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (20-01-2018) को "आगे बढिए और जिम्मेदारी महसूस कीजिये" (चर्चा अंक-2854) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जी नमस्ते दी,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार २२जनवरी २०१८ के विशेषांक के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
घर घर में बवाल...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्दचित्र उकेरा है आपने संयुक्त परिवार का...
बच्चो की धमाचौकड़ी का ...
कमाल का बवाल आपका ,कुसुम जी !
वाह!!!
लाज़वाब रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई