आज जन्मदिन
कवि सम्राट सुमित्रानन्दन जी पन्त का
शत - शत नमन उनको
कवि सम्राट सुमित्रानन्दन जी पन्त का
शत - शत नमन उनको
20 मई सन् 1900 में जन्म लिया इन्होंने
अल्मोड़ा में....धन्य हो गई भूमि
अल्मोड़ा में....धन्य हो गई भूमि
चींटी को देखा?
वह सरल, विरल, काली रेखा
तम के तागे सी जो हिल-डुल,
चलती लघु पद पल-पल मिल-जुल,
यह है पिपीलिका पाँति! देखो ना, किस भाँति
काम करती वह सतत, कन-कन कनके चुनती अविरत।
गाय चराती, धूप खिलाती,
बच्चों की निगरानी करती
लड़ती, अरि से तनिक न डरती,
दल के दल सेना संवारती,
घर-आँगन, जनपथ बुहारती।
चींटी है प्राणी सामाजिक,
वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक।
देखा चींटी को?
उसके जी को?
भूरे बालों की सी कतरन,
छुपा नहीं उसका छोटापन,
वह समस्त पृथ्वी पर निर्भर
विचरण करती, श्रम में तन्मय
वह जीवन की तिनगी अक्षय।
वह भी क्या देही है, तिल-सी?
प्राणों की रिलमिल झिलमिल-सी।
दिनभर में वह मीलों चलती,
अथक कार्य से कभी न टलती।
सुमित्रानंदन पंत की इस कविता में अपना बचपन ढूढ़ने वाले हम
उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि देते हैं।
उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि देते हैं।
:: प्रस्तुति सौजन्य ::
आदरणीय दीदी अलकनंदा सिंह
ख़ुदा के वास्ते से
आदरणीय दीदी अलकनंदा सिंह
ख़ुदा के वास्ते से