सोमवार, 16 जुलाई 2018

उम्मीद का दीपक ....नीतू ठाकुर




चल सखी उम्मीद का 
दीपक जलाते हैं 
हम हम कदम हम राह बनकर 
मुस्कुराते हैं 
न जाने कितने ख्वाब और 
अरमाँ हैं इस दिल में 
चल वही अरमाँ 
तेरे दिल में बसाते हैं 
कुछ भी नही है पास 
शब्दों के सिवा मेरे 
ओठों पे बस जाएं 
उन्हें ऐसे सजाते हैं 
खो न जायें हम कहीं 
दुनिया की भगदड़ में 
एक नई पहचान 
दुनिया में बनाते हैं 

- नीतू ठाकुर 

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-07-2018) को "हरेला उत्तराखण्ड का प्रमुख त्यौहार" (चर्चा अंक-3035) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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