एक मध्यान्ह दैनिक..
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रचनाओं का मिला-जुला संगम..
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बुधवार, 24 जनवरी 2018
पलाश का मौसम....कुसुम कोठारी
पलाश का मौसम अब आने को है जब खिलने लगे पलाश संजो लेना आंखों मे सजा रखना हृदय तल मे फिर सूरज कभी ना डूबने देना चाहतों के पलाश बस यूं ही खिले खिले रखना हरे रहेगें अरमानों के जंगल प्रेम के हरे रहने तक। -कुसुम कोठारी
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जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी के आगमन और प्रेम के मनुहार का यह मौसम सुहावना होता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
हार्दिक शुभकामनाएं
सादर