एक उम्र तक हालात से लड़ना चाहिए
फिर बेझिझक समझौता कर लेना चाहिए।
यह तुझपर है अपने को बरकरार रख
वक़्त की ठोकर से नहीं बिखरना चाहिए।
आँसू बहा ग़मों की क्यों नुमाईश लगाएँ
दर्द अपना है अपने को सहना चाहिए।
ख़ुशक़िस्मत है तुझे बस नाकामी ही मिली
इस आग में तुझे ओर निखरना चाहिए।
भटक न जाएं कहीं क़दम क़ामयाबी से
इसलिए तंग रस्तों से गुज़रना चाहिए।
-आशुतोष शर्मा
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (05-03-2018) को ) "बैंगन होते खास" (चर्चा अंक-2900) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी