बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

मन के पलाश...................निशा माथुर

एक सुरमई भीगी-भीगी शाम, 
ओढ़कर चुनर चांदनी के नाम।

सुनो, तुम जरा मेरे साथ तो आओ,
कुछ मौसमों को भी बुला लाओ।
मैं ...... मैं बादल ले आऊं,
और इस भीगी-भीगी शाम में,
गुलमोहरी मधुमास चुराऊं।

सुनो, तुम आज कुछ बिगड़ो, कुछ बनो, 
और आंधियां भी संग ले आओ।
मैं........मैं चिराग बन जाऊं,
और इस आंधी संग जल-जल के,
अपना विश्वास आजमाऊं।

सुनो, तुम कुछ पल पहाड़ बन जाओ, 
और सन्नाटे से लहरा जाओ।
मैं........मैं धुंधला के सांये-सी मचलूं, 
सन्नाटे में तुम्हारा नाम पुकारूं।

सुनो, तुम आज वक्त बन जाओ,
और मेरे लिए थोड़े ठहर जाओ।
मैं............मैं फिर स्मृतियां छू लूं,
दर्पण में अनुरागी छवियां निहार लूं।

सुनो, तुम आज मेरा आंगन बन जाओ,
और मेरा सपना बनकर बिखर जाओ।
मैं...मैं मन के पलाश-सी खिल जाऊं, 
अनुरक्त पंखुरी-सी झर-झर जाऊं।

सुनो, फिर एक सुरमई भीगी-भीगी शाम, 
ओढ़कर चुनर चांदनी के नाम ।
मैं........तुम्हारी आंखों के दो मोती चुराऊं
और उसमें अपना चेहरा दर्ज कराऊं।
-निशा माथुर

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (14-02-2019) को "प्रेमदिवस का खेल" (चर्चा अंक-3247) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    पाश्चात्य प्रणय दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सुनो, तुम जरा मेरे साथ तो आओ,
    कुछ मौसमों को भी बुला लाओ।
    मैं ...... मैं बादल ले आऊं,
    और इस भीगी-भीगी शाम में,
    गुलमोहरी मधुमास चुराऊं...
    इस प्यारी सी रचना हेतु हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय निशा माथुर जी।

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  3. बहुत ही भावपूर्ण पँक्तियाँ।

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  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन वीनस गर्ल की सौन्दर्य-आभा : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  5. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति सोमवार 18 फ़रवरी 2019 को प्रकाशनार्थ "पाँच लिंकों का आनन्द" ( https://halchalwith5links.blogspot.com ) के विशेष सोमवारीय आयोजन "हम-क़दम" के अट्ठावनवें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    अंक अवलोकनार्थ आप सादर आमंत्रित हैं।

    सधन्यवाद।

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  6. तुम्हारी आंखों के दो मोती चुराऊं
    और उसमें अपना चेहरा दर्ज कराऊं।
    भावपूर्ण सुंदर रचना, प्रणाम।

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  7. बहुत ही सुन्दर ...भावपूर्ण सृजन...
    वाह!!!

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