1
खिले पलाश
भरे अंग-प्रत्यंग
प्रेम सुवास।
2
संग सजना
यूँ खेलो सखी होरी
तोड़ वर्जना।
3
होली के रंग
मिलाते दिल टूटे
वर्षों के रूठे।
4
नैन गुलाब
बिन पिए शराब
चढ़े फाग में।
5
सरसों फूल
याद आये फाग में
प्यारी सी भूल।
6
प्रेम का देता
जग को उपहार
होली त्यौहार।
7
ऋतू के संग
बदले अपने भी
लो रंग-ढंग।
8
मीत से प्रीत
गाओ मिलन गीत
होली है आई।
9
बह निर्झर
जा रहा पतझड़
ओ मधुमास।
10
राग - वैराग
भुला दें हम सब
होली में आज।
11
तरु पे खग
कैसी छाई रौनक़
फाग ग़ज़ब।
12
फड़कें अंग
बजे होली में जब
प्रेम मृदंग।
-सपना मांगलिक
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-03-2017) को "जला देना इस बार..." (चर्चा अंक-2897) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (02-03-2017) को "जला देना इस बार..." (चर्चा अंक-2897) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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रंगों के पर्व होलीकोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुभकामनाएं स्वीकारें, सपरिवार
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