तुझको मालूम नहीं है कि मुहब्बत क्या है?
तुझको मालूम नहीं है कि इबादत क्या है?
जिसकी नस-नस में उसी का नाम रहता है,
उसका दिल जाने, ये रूह की उल्फ़त क्या है?
जिसको सूली का न डर है न किसी जहर का,
इक वो ही जाने कि, उसकी इनायत क्या है?
तुझको बस जिस्म की, जन्नत की भूख रहती है,
तुझको मालूम नहीं, प्यार की फ़ितरत क्या है?
खुदको खोकर जो उसका ही हो जाता है,
उसे पूछो कि ये, उल्फ़त या इबादत क्या है?
-अशोक वशिष्ट
वाह ...बहुत बढ़िया
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