शनिवार, 27 जनवरी 2018

अदेह....शैलेन्द्र चौहान

आँखों में
धुँआ
जैसे अन्धा कुआँ

सूरदास की आँखें
बगुला की पाँखें

तुमने मुझे छुआ
अंधेरे में
अदेह !

मैं उड़ा
झपटा मछली की
आँख पर

सूखे पोखर का
रहस्य
न मछली
न मछली की आँख

बस
सूखे कठोर
मिट्टी के ढेले

-शैलेन्द्र चौहान

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