tag:blogger.com,1999:blog-4435356762719013926.post3560192426626124659..comments2023-10-14T19:37:24.120+05:30Comments on विविधा.....: मन्नत का धागा......श्वेता सिन्हाyashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4435356762719013926.post-931867069025167632017-12-06T22:38:48.788+05:302017-12-06T22:38:48.788+05:30मन्नत का धागा
बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना....
पत्थर न...मन्नत का धागा<br />बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना....<br />पत्थर न होकर भी <br />पत्थरों की तरह ठोकर में रहना<br />फिर भी मन्नत माँगना उन्हीं के लिए कहाँँ आसान है...<br />बहुत ही लाजवाब अभिव्यक्ति...<br />वाह!!!Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4435356762719013926.post-38616739964836149522017-12-06T21:59:40.201+05:302017-12-06T21:59:40.201+05:30बस तुम्हारी खातिर,
दुआएँ, प्रार्थनाएं एक पवित्र
मन...बस तुम्हारी खातिर,<br />दुआएँ, प्रार्थनाएं एक पवित्र<br />मन्नत के धागे के सिवा और<br />क्या हो सकती हूँ मैं<br />तुम्हारे तृप्त जीवन में।<br />बहुत सुंदर।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4435356762719013926.post-61154403449735546152017-12-06T08:29:30.064+05:302017-12-06T08:29:30.064+05:30बस तुम्हारी खातिर,
दुआएँ, प्रार्थनाएं एक पवित्र
मन...बस तुम्हारी खातिर,<br />दुआएँ, प्रार्थनाएं एक पवित्र<br />मन्नत के धागे के सिवा और<br />क्या हो सकती हूँ मैं<br />तुम्हारे तृप्त जीवन में।<br />मन्नत का धागा बनना किसी के लिए....इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा ?<br />Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4435356762719013926.post-74954599691427484102017-12-05T17:51:19.462+05:302017-12-05T17:51:19.462+05:30वाह! मानो स्वयं को एक मन्नत का धागा मानकर पूरी तरह...वाह! मानो स्वयं को एक मन्नत का धागा मानकर पूरी तरह उस धागा को ही जीवंत कर दिया।Prakash Sahhttps://www.blogger.com/profile/04882608306436611902noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4435356762719013926.post-50079929791044355492017-12-04T20:57:58.847+05:302017-12-04T20:57:58.847+05:30एक डोरी
मन्नत की
मेरी भी
न..भगवान से नहीं
माँगती क...एक डोरी<br />मन्नत की<br />मेरी भी<br />न..भगवान से नहीं<br />माँगती कुछ<br />माँगती हूँ मैं..<br />अपने पाठकों से..और<br />अपने सहयोगियों से<br />न छोड़िएगा<br />साथ मेरा...पल<br />हरपल रहिएगा<br />थामें मेरा हाँथ<br />अपने हांथ से<br />बेहतरीन मन्नत<br />सादरyashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4435356762719013926.post-38055123965945863552017-12-04T20:16:03.173+05:302017-12-04T20:16:03.173+05:30मन्नत का धागा, जिसने न पढ़ा वो अभागा.
बार बार यही ख...मन्नत का धागा, जिसने न पढ़ा वो अभागा.<br />बार बार यही ख्याल आ रहा है कि कितनी कोमलता समेटे है ये एहसास कि कोइ किसी के लिए मन्नत का धागा बांधता है, अपनी तकलीफ, दर्द को परे रख मुस्कुराता है , खुद के होने को भूलकर दूसरे के लिए जीता है .<br />आप की कविता वर्तमान समय में स्त्री की कोमल भावनाओं का अनूठा दर्पण है. हर भार आपकी कविता पढ़कर खो जाती हूँ.<br />लाज़वाब <br />सादर अपर्णा वाजपेयीhttps://www.blogger.com/profile/11873763895716607837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4435356762719013926.post-12005478726753909652017-12-04T18:13:34.308+05:302017-12-04T18:13:34.308+05:30बहुत सूंदर और शानदार
भावुक और मर्मस्पर्शीबहुत सूंदर और शानदार <br />भावुक और मर्मस्पर्शीNITU THAKURhttps://www.blogger.com/profile/03875135533246998827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4435356762719013926.post-69144327209396323752017-12-04T18:02:06.928+05:302017-12-04T18:02:06.928+05:30बेहतरीन ...कितनी कोमल कितनी सहनशील दिल में अनगिनत ...बेहतरीन ...कितनी कोमल कितनी सहनशील दिल में अनगिनत स्नेह समेटे..वो अक्सर मन्नत का धागा कभी मां बनकर,कभी प्रेयसी बन कर बांधती हैं , बहुत ही खूबसूरती से एक स्त्री के मनोभावों को जिवित करती ... हुई मार्मिक अभिव्यक्ति....!Anita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4435356762719013926.post-78974226225772381292017-12-04T17:41:32.579+05:302017-12-04T17:41:32.579+05:30बहुत ही भावुक और मर्मस्पर्शी रचनाबहुत ही भावुक और मर्मस्पर्शी रचनाLokesh Nashinehttps://www.blogger.com/profile/10305100051852831580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4435356762719013926.post-80391037802266758062017-12-04T17:41:01.432+05:302017-12-04T17:41:01.432+05:30अनगिनत बार शब्द बाणों से
आहत टूटकर चूर होना
फिर से...अनगिनत बार शब्द बाणों से<br />आहत टूटकर चूर होना<br />फिर से स्पंदनहीन,भावहीन<br />बनकर तुम्हारे लिए<br />बस तुम्हारी खातिर,<br />दुआएँ, प्रार्थनाएं एक पवित्र<br />मन्नत के धागे के सिवा और<br />क्या हो सकती हूँ मैं<br />तुम्हारे तृप्त जीवन में।<br />.....समर्पण की पराकाष्ठा....<br />सुंदर अतुकान्त रचनापुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.com