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रविवार, 7 जनवरी 2018

स्त्री विमर्श पर .....नीरज द्विवेदी


स्त्री विमर्श पर 
मेरे सारे तर्क,
सारा ज्ञान,
सारा पौरूष,
चुक जाता है
शब्द टूटने लगते हैं..
मै, निरूत्तरित.. आवाक
तुम्हे देखने लगता हूँ.....
जब तुम बड़ी सहजता से पूछ लेती हो,
कि...
"मै औरत हूँं,
पर.... मै हूँ कौन ??

-नीरज द्विवेदी

1 टिप्पणी:

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